प्रदेश सरकार पर आखिर कितना कर्ज ? विधायक कल्पना वर्मा का सदन में सवाल
*रैगांव विधायक ने पूछा , आखिर प्रदेश में कर्ज का बोझ कितना
भोपाल,
मध्यप्रदेश विधानसभा के सत्र शुरू होते ही पहले ही दिन महंगाई के मुद्दे पर काफी सुर्खियां बटोरने वाली
कांग्रेस की कद्दावर नेत्री रैगांव विधायक श्रीमती कल्पना वर्मा ने टमाटर व मिर्ची की माला पहन कर एक अलग ही अंदाज में एंट्री मारी थी ।
लेकिन रैगांव विधायक केवल इसलिए भी चर्चा में नहीं रही अपितु उनका विधानसभा में पूछा गया प्रश्न भी काफी सुर्खियां बटोर रहा है भाजपा सरकार के वित्त मंत्री के भी पसीने छुडा देने वाले प्रश्न से प्रदेश सरकार स्तब्ध है।
*कर्ज पर निर्भर सरकार*
मप्र पर कर्ज का बोझ बढ़कर इस वित्तीय वर्ष में 2.52 लाख करोड़ से भी ऊपर जा पहुंचा है। कुछ दिन पहले यह कर्ज 2.31 लाख करोड़ था। जबकि साल 2021-22 का कुल बजट ही 2.41 करोड़ 375 करोड़ था जबकि उसमें करीब 50, 938 करोड़ का राजकोषीय घाटा दिखाया गया था। पेट्रोल-डीजल-रसोई गैस की महंगाई की मार से कराह रही जनता को राहत तो दूर की कौड़ी रही, क्योंकि इसकी झलक तो आर्थिक सर्वेक्षण में दिख गई थी, जिसने राज्य की कंगाली की तस्वीर को सामने लाकर रख दिया था।
*कैसे चलेंगी योजनाएं, कैसे होगा प्रदेश विकास?*
जब हम गले तक कर्ज में डूब जाएगें, तो विकास योजनाएं कैसे चलेंगी, कैसे मप्र आत्मनिर्भर बनेगा, यह एक बड़ा सवाल है? यह सवाल इसलिए भी हैं कि राज्य की आमदनी 76,656 करोड़ है, लेकिन वेतन, पेंशन और ब्याज चुकाने के लिए सरकार को 85,499 करोड़ की जरूरत है. यानी इन कामों के लिए ही सरकार को कुल आय से 8 हजार करोड़ से ज्यादा की रकम जुटानी होगी. खनिज हो या आबकारी, अधिकांश विभागों से मिलने वाले राजस्व में कमी आई है, सरकार को अकेले बिजली कंपनियों का 34 हजार करोड़ का कर्ज चुकाना है, जो वह नहीं दे रही है और बिजली कंपनियां अपनी कंगाली, खस्ताहाली को दूर करने के लिए आम आदमी के लिए बिजली के दाम बढ़ाने की आए दिन तैयार रहती है। मतलब साफ है कि महंगाई की आग में आमजनता को झुलसना ही है। अगर सरकार को गांव, गरीब, किसान, शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगार, उद्योग सहित कोई भी योजना संचालित करना या कोई काम करना है, तो उसके लिए उसे केन्द्र सरकार पर निर्भर रहना होगा, या बाजार से कर्ज लेना पड़ेगा।
जो भविष्य के लिए अच्छा संदेश नहीं है।
*कर्ज लेकर अच्छे दिन के झूठे सपने कब तक* प्रदेश में बढ़ती महंगाई और प्रदेश सरकार के बढ़ते कर्ज को लेकर आर्थिक विश्लेषण के जानकारों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई । अब प्रदेश में लाखों-करोड़ों के कर्जे से अच्छे दिन के झूठे सपने दिखाना बेईमानी होगी उक्त बातें कांग्रेस विधायक कल्पना वर्मा ने कहीं आज प्रदेश के हर नागरिक पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है उसकी थाली से रोटी गायब होती जा रही है। टमाटर के भाव ₹150 किलो तक पहुंच गए हैं।
*प्रदेश सरकार पर आखिर कितना कर्ज ? विधायक कल्पना वर्मा का सदन में सवाल*
*45. ( क्र. 486 ) श्रीमती कल्पना वर्मा* : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश सरकार द्वारा मार्च 2020 से प्रश्न दिनांक तक किन-किन संस्थाओं से कब-कब कितनी- कितनी राशि का कर्ज कौन-कौन सी अचल सम्पत्तियों को बंधक बनाकर लिया गया है? केन्द्र सरकार द्वारा उक्त अवधियों में कब-कब कितनी राशि अनुदान, कर्ज, प्रतिपूर्ति के तौर पर प्रदान की गई है? किन-किन बोर्डों से ब्याज में राशि ली गई एवं कब-कब कितनी कितनी राशि का ब्याज भुगतान किया गया ? (ख) क्या सरकार द्वारा प्रश्नांश (क) अनुसार लिये गये कर्ज की राशि से एक बड़ी राशि का व्यय विज्ञापन, एडवरटाइजिंग, प्रचार-प्रसार के कार्य में व्यय की गई? प्रश्नांश (क) की अवधि में सरकार की योजनाओं के विज्ञापन, प्रचार-प्रसार, एडवरटाइजिंग कार्य में कब-कब कितनी- कितनी राशि का व्यय किन-किन को किया गया पूर्ण जानकारी देवें? (ग) प्रश्नांश (क) अनुसार लिये गये कर्ज के कारण प्रश्न दिनांक को म.प्र. के प्रत्येक नागरिक पर कितनी राशि का कर्ज है?
*वित्त मंत्री ( श्री जगदीश देवड़ा)* (क) राज्य शासन द्वारा कर्ज किसी भी अचल सम्पत्तियों को बंधक बनाकर नहीं लिया जाता है, शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (ख) राज्य सरकार के द्वारा कर्ज राज्य के अधोसंरचनात्मक एवं अन्य विकास कार्यों के लिये लिया जाता है। अतः प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) उत्तरांश (क) के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
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