उमरिया | 01-फरवरी-2020 |
पशु चिकित्सा जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से पशुओं में होने वाले रोगों व उनके टीकाकरण के बारे में पशु पालकों को बताया जा रहा है कि गलघोटू रोग जो वर्षा के पूर्व पशुओं को टीका लगाना होता है इसका प्रतिरोधक क्षमता एक वर्ष होता है टीका लगाने के बाद स्थान को अच्छी तरह से मल दे ताकि गांठ न पडें, एक टंगिया जिसे परपरहवा कहा जाता है जो वर्षा के पूर्व यह भेड़ बकरी के लिये भी यही टीका प्रयोग में आता है, तिल बढ़,छड़ रोग जो वर्षा के पूर्व गाय, भैस, भेड़, बकरीयों में टीका लगाया जाता है, खुरहा-चपका, मुंहखुरी व एफएमडी यह वर्षा के पूर्व लगाया जाता है जिसका का प्रतिरोधक क्षमता एक वर्ष की होती है, इंटिरोटाक्सीमिया रोग यह प्रसव समय से दो माह पूर्व प्रथम डोज तथा 14 दिन बाद दूसरा डोज, स्वाइन फीवर शूकरों में स्वाइनफीवर रोकने हेतु 4 माह की उम्र पर प्रथम डोज, फिर प्रतिवर्ष, रेबीज यह रोग कुत्तों के काटने से होता है जो प्रथम 3 माह की उम्र के बाद फिर प्रतिवर्ष स्वस्थ्य कुत्तों के बचाव हेतु टीका लगवाना चाहिए। |
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