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रबी फसलो की बुआई के लिये किसानो को दी गई सलाह

झाबुआ | 30-जनवरी-2020
 



 

 

 


    कृषि विज्ञान केन्द्र झाबुआ द्वारा किसानो को सलाह दी गई है कि आगामी पांच दिनो में आसमान मे साफ से छिटपुट बादल रहने, अधिकतम व न्यूनतम तापमान 23.0 से 25.0 व 10.0 से 12.0 डि.से के बीच रहने, हवा पश्चिम से उत्तर-पश्चिम दिशा से 11.2 से 20.3 किमी/घंटा चलने एवं आगामी पाचं दिनो में वर्षा नही होने का अनुमान है।
     किसानो को सलाह दी जाती है कि गेहू, सरसो एवं चना में सिंचाई करे। आगामी दिनो में साफ एवं शुष्क मौसम तथा सामान्य तापमान व चना, सरसो के फली बनाने व दाना भरने की अवस्था को देखते हुए फली खाने वाली इल्लियो व रसचूसक कीट के आक्रमण की सभावना अधिक है अतः सतत् निगरानी रखे व आक्रमण बढने पर अनुशंसित दवा की उचित मात्रा का छिडकाव करे।
    गेहू में दीमक नियंत्रण हेतु क्लोरोपायरीफास 20 ईसी दवा/3.5 ली./हेक्टे. की दर से सिंचाई जल के साथ दे। गेहू में चौथी सिंचाई बाली निकलते समय 65-70 दिन बाद एवं पांचवी दुधिया अवस्था  80-85 दिन बाद करे ताकि नमी की कमी न हो। सरसो के लिए रसचूसक कीट के नियंत्रण हेतु एसिटामेप्रिड या थयोमिथाक्सिम दवा 0.35-0.45 ग्रा/ली. की दर से छिडकाव करें। सरसो में सिंचाई फलियो में दाना बनते समय करे।  
      चना कीटो के नियंत्रण हेतु पक्षियो के बैठने हेतु टी आकार की खूटीया 20-25 प्रति हेक्टेयर एवं फेरोमोन ट्रैप (8 ट्रैप प्रति हेक्टेयर) लगाये। इल्लियो का आक्रमण बढने पर (3 इल्लिया/मी.) नियंत्रण हेतु ट्रायजोफॉस दवा 800 मिली./हेक्टे. का छिडकाव करे। चना में दूसरी सिंचाई फलियो में दाना बनाते समय करे।
   आम की सिंचाई रोक दे। आम के पेडो पर मिलीबग के नियंत्रण हेतु तने पर ग्रीस की पटिया बंधे एवं ताने के आसपास भूमि में फोलिडाल दवा 250 ग्रा./पेड की दर से डाले। सब्जिया रसचूसक कीट व वायरस जनित रोग के नियंत्रण हेतु थयोमिथाक्मिस दवा 7.0 ग्रा/पम्प(0.45 से 0.50 ग्रा/ली) का छिडकाव करे। मिर्च, टमाटर, अगेती गोभी की समय पर तुडाई करे। मौसम की सब्जियो मिर्च, टमाटर बैगन, गोभी, गाजर, लहसुन आदि की रोपित पौध की समय पर सिंचाई कर अनुशंसित उर्वरक की मात्रा दे। पालक, मैथी, मूली, मटर, की समय पर तुडाई-कटाई करे। गीष्मकालीन सब्जियो हेतु नर्सरी डालने की तैयारी करे। ग्रीष्मकालीन कहूवर्गीय सब्जियो को लोटनल विधि से लगाने का उचित समय है। हल्दी व अदरक की परिपक्व फसल की सिंचाई रोक दे व प्रकंद की खुदाई करे। दुधारू पशुओ को थैनेला रोग से बचाव हेतु पूरा दूध निकले एवं दूध दोहन के बाद थनो को कीटाणु नाशक घोल में डुबोएं। मुर्गियो व चूजो का ठण्ड से बचाव हेतु मुर्गीघर की खिडकियो को पर्दे से ढककर रखे एवं हीटर जलाकर कमरे का उचित तापमान बनाये रखे। अधिक बरसीम खिलने से पशुओ को अफरा बीमारी हो सकती है। अफरा होने पर 500 ग्राम सरसो के तेल में 60 ग्राम तारपीन का तेल मिलाकर दे। बरसीम की द्वितीय कटाई उपरांत सिंचाई कर अनुशंसित उर्वरक फसल की समय पर सिंचाई करे।




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