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विदिशा |
कृषि विभाग के द्वारा गेंहू की फसल में लगने वाले जड़ माहू कीट बचाव के उपाय किसानों को सुझाए गए है। विभाग के उप संचालक श्री एएस चौहान ने बताया कि मौसम की प्रतिकूलता के कारण गेंहू की फसल में जड़ माहू कीट का प्रकोप होने की संभावना मौसम की प्रतिकूलता के दौरान हो सकती है। उन्होंने किसानो से अपील की कि अपने-अपने खेत की सतत निगरानी करें। जड़ माहू प्रकोप के लक्षण यह कीट गेंहू फसल में पौधो की जड़ों से रस चूसता है जिसके कारण पौधा पीला पड़ने लगता है और धीरे-धीरे सूखने लगता है। शुरूआत में खेतों में जगह-जगह पीले पडे़ हुए पौधे दिखाई देते है, बाद में पूरा खेत सूखने की संभावना रहती है। जड़ माहू कीट की पहचान यह कीट हल्के पीले रंग से गहरे हरे रंग का होता है जो जड़ो का रस चूसता हुआ दिखाई पड़ता है। गेंहू के पौधो को जड़ से उखाडने पर ध्यानपूर्वक देखने से यह कीट आसानी से दिखाई देता है। जड़ माहू कीट प्रबंधन इस कीट के प्रबंधन हेतु इमीडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल दवा की 70 एमएल मात्रा प्रति एकड अथवा एसीटामेप्रिड 20 प्रतिशत एसपी दवा की 150 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ अथवा थायोमिथाक्जॉम 25 प्रतिशत डब्ल्यूजी दवा की 50 ग्राम मात्रा प्रति एकड को 150-200 लीटर पानी में घोल बनाकर पूरे खेत में अच्छी तरह से छिड़काव करें। यह दवाएं सिस्टेमिक प्रकार की होती है जिनसे पूरा पौधा जहरीला हो जाता है और जब कीट या रस चूसता है तो वह मर जाता है। |
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