परम्परागत कृषि फसलें, चना एवं सोयाबीन की लेने में जो मुनाफा नही होता था वो उद्यानिकी फसलों ने कर दिखाया है। कुरवाई विकासखण्ड के ग्राम रूसिया के कृषक श्री मनोज चौबे का कहना है कि गेहूं चना और सोयाबीन की फसल लेने से बमुश्किल तीस से चालीस हजार रूपए की आय प्राप्त होती थी। अधिकांश फसलें की व्याधि से क्षति होने लगी थी ऐसे समय उद्यानिकी विभाग के सम्पर्क व मार्गदर्शन में मैंने एक हेक्टेयर क्षेत्र में उद्यानिकी फलक्षेत्र विस्तार योजना के तहत वर्ष 2014-15 में उच्च क्वालिटी के नीबूं रोपित किए थे।
उद्यानिकी विभाग की योजना के अंतर्गत मुझे ड्रिप सिंचाई की सुविधा मिलने से मेरे द्वारा फलोद्यान पंक्तिबद्व रो के अंतराल में अंतरवर्ती फसलें सब्जी-मसाला की खेती करने हेतु मुझे प्रेरित किया गया। विगत दो वर्षो में ही फलोद्यान एवं सब्जी मसाले की खेती ने प्रति हेक्टेयर तीन लाख रूपए की आमदनी मुझे प्राप्त हुई है। कम क्षेत्रफल में अधिक उत्पादन प्राकृतिक आपदाओं से कम नुकसान एवं ड्रिप पद्वति से पानी की बचत हो रही है उद्यानिकी फसलो के रोपण से मुझे हुई आमदनी से मेरा एवं पारिवारिक जीवन के स्तर में बदलाव को देखते हुए ग्राम के अन्य कृषक भी उद्यानिकी फसलों को लेने हेतु अग्रसर हुए है।
उद्यानिकी विभाग की योजना ने जहां मुझे आर्थिक रूप से सबलता की ओर अग्रसर किया है वही विभाग के द्वारा अन्य राज्यों में भ्रमण कर रसीले फलों की खेती और कैसे ले कि सुगमता से जानकारी मुहैया हुई है। अब मै परम्परागत खेती की जगह आधुनिक खेती, उद्यानिकी फसलों को ले रहा हूं।
(13 days ago)
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