ब्यावरा
निवासी नूतन नामदेव को पढ़ने की ललक थी। कक्षा में आगे रहकर पढ़ाई करती थी कि 10 वर्ष पूर्व उन्हें समय का ऐसा फेर आया कि पढ़ाई अधूरी रह गई। नूतन की मम्मी की तबियत अचानक ऐसी बिगडी कि फिर बिस्तर ही पकड लिया।
नूतन का सपना उस समय चकनाचूर हो गया जब पिताजी ने उन्हें चूल्हे चौंका में लगा दिया। उनके मन में पढ़ाई पूरी करने की इच्छा दबी रही। जब बादल पर पांव की जानकारी उन्हे लगी तो उन्होंने शासकीय उच्चतर कन्या माध्यमिक विधालय ब्यावरा में प्रवेश पा लिया। अब 10 वर्ष बाद वह पुनः शिक्षा की और अग्रसर है। नूतन टेस्ट देते हुए स्टेडियम में खुश दिखी।
नूतन का सपना उस समय चकनाचूर हो गया जब पिताजी ने उन्हें चूल्हे चौंका में लगा दिया। उनके मन में पढ़ाई पूरी करने की इच्छा दबी रही। जब बादल पर पांव की जानकारी उन्हे लगी तो उन्होंने शासकीय उच्चतर कन्या माध्यमिक विधालय ब्यावरा में प्रवेश पा लिया। अब 10 वर्ष बाद वह पुनः शिक्षा की और अग्रसर है। नूतन टेस्ट देते हुए स्टेडियम में खुश दिखी।
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